उसका गीत गाके महफिल सजा लेती हूं ये कविता लिख कर पा लिया करती हूँ उसे उसका गीत गाके महफिल सजा लेती हूं ये कविता लिख कर पा लिया करती हूँ उसे
मन के हैं रुप अनेक, भावनाएं बेहिसाब हैं असीम प्रकृति को जी पायें ऐसी मन में कल्पनाएं मन के हैं रुप अनेक, भावनाएं बेहिसाब हैं असीम प्रकृति को जी पायें ऐसी मन म...
बगिया की मायूसी दूर हुई तितलियां नशे में चूर हुई भंवरों ने ली अंगड़ाई है पौधों पर बगिया की मायूसी दूर हुई तितलियां नशे में चूर हुई भंवरों ने ली अंगड़ाई है ...
औरत अपने अस्तित्व, की तलाश में, खोजती रहती है, कुछ अनजाने पथ। औरत अपने अस्तित्व, की तलाश में, खोजती रहती है, कुछ अनजाने पथ।
शब्द गर भावों का धरातल है शब्द गर भावों का धरातल है
स्वर्णिम-पिंजरे का संग छोड़कर आकांक्षाओं के पंख पसारकर अपनी मंजिल खुद ही पाएं। स्वर्णिम-पिंजरे का संग छोड़कर आकांक्षाओं के पंख पसारकर अपनी मंजिल खुद ही ...